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कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का खतरा

 कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का खतरा

                 करुणा सेवर सुबह लोगों में अब प्लेटफार्म का उसका खतरा मंडराने लगा है। इस ब्लैक फंगस से होने वाली बीमारी म्यूकर माइकोसिस एक नई मुसीबत बनकर उभरने लगी है। इस बीमारी का इलाज भी काफी महंगा है। इसका इलाज सामान्य आदमी के बस के बाहर है। शासन  इसका इंजेक्शन खरीदने को तैयार है तथा इसके इलाज को डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना में भी जोड़ना चाहती है। इससे गरीबों को इसके इलाज में मदद मिलेगी।

21 दिन में लगाने पड़ते हैं 50 से 100 इंजेक्शन

         डॉक्टरों के मुताबिक इसका इलाज भी बहुत पेचीदा है। इस ब्लैक फंगस से ग्रसित व्यक्ति के इलाज में लगने वाली एक इंजेक्शन की कीमत 5 से ₹7000 तक होती है। इसके अलावा 21 दिनों के अंतर्गत ऐसे 50 से 100 इंजेक्शन एक व्यक्ति को ही लगाने पड़ते हैं। मतलब यह कि एक व्यक्ति को यदि 50 इंजेक्शन भी लगते हैं तो 21 दिन में उसे केवल इंजेक्शन के ही ढाई लाख से साढ़े तीन लाख रुपए देने पड़ेंगे। 37 और इंजेक्शन लगाना पड़ा तब केवल इंजेक्शन की कीमत होगी 5,00,000 से 7,00,000 । सबसे मुश्किल बात यह है कि इसके इंजेक्शन बाजार में मिल भी नहीं रहे हैं। अब इसका इलाज कराएं तो कराएं कैसे।

छत्तीसगढ़ शासन ने दिए 5000 इंजेक्शन के आर्डर

             इस बीच छत्तीसगढ़ शासन ने ब्लैक फंगस के उपचार में उपयोग होने वाली इंजेक्शन के 5000 रोज का ऑर्डर दे दिए हैं। इस दवा को की खरीदारी के लिए अलग से टेंडर जारी करने के लिए भी कहा गया है। उसके बाद हालात कुछ सुधर सकते हैं। फिर भी 5000 ऊंट के मुंह में जीरा जैसा ही है। फिलहाल छत्तीसगढ़ के समस्त मेडिकल कॉलेजों तथा एम्स में इसके उपचार की व्यवस्था कर दी गई है।

डॉ.खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना से होगा इलाज

             इस बीमारी का इलाज बहुत ही महंगा है। इंजेक्शन भी नहीं मिल रहे और इंजेक्शन की कीमत भी पहुंच ज्यादा है। इसके अलावा आंखों की सर्जरी कराने की भी जरूरत इसमें पड़ सकती है। ऐसे में गरीब परिवारों को इसके इलाज मुहैया कराने के लिए छत्तीसगढ़ में इसे डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। आयुष्मान भारत योजना से भी इसका इलाज किया जा सकता है इस योजना के अंतर्गत कमजोर वर्ग के लोगों को ₹5,00,000 तक का मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान किया जाता है। छत्तीसगढ़ में लगभग 65 लाख परिवारों इस योजना का लाभ मिल रहा है।

प्रदेश में ब्लैक फंगस से हुई 01 मौत

          छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के लगभग 50 केस मिल चुके हैं। इसके अलावा भिलाई में ब्लैक फंगस से जूझ रहे एक इंजीनियर की मृत्यु भी हो चुकी है। इसके अलावा कई लोगों के आंखों की रोशनी खत्म होने की भी खबरें आने लगी है। इसका इलाज रायपुर एम्स सहित मेडिकल कॉलेज तथा बिलासपुर, रायगढ़, महासमुंद, दुर्ग, भिलाई जैसे कई बड़े शहरों के कई निजी चिकित्सालय में भी चल रही है।
            ब्लैक फंगस से पीड़ित लोगों में कामन बात यह है कि सब के सब पहले कोरोना पॉजिटिव थे। फिर कोरोना को हराकर स्वस्थ हुए। एक कामन बात और है कि इसमें से अधिकतर लोग डायबिटीज के भी पेशेंट हैं। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद ये सभी ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं। सभी मरीजों के पूर्व में कोरोना पॉजिटिव होने के कारण डॉक्टरों ने यह अनुमान लगाया है कि हो ना हो कोरोनावायरस के इलाज में स्टेरायड का अधिक इस्तेमाल किया गया होगा। जिसके कारण इन मरीजों में यह संक्रमण फैला हो। ब्लैक फंगस के संक्रमण फैलने के कई कारण हो सकते हैं किंतु यह मुख्य कारण के रूप में उभर कर आ रही है।

क्या है ब्लैक फंगस

           यह फोन से होने वाली एक रोग है जिसमें काले रंग की फंगस नाक साइनस आंख और दिमाग में फेल कर उन्हें नष्ट कर रही है।

ब्लैक फंगस होने के कारण

1. कोरोना के इलाज के दौरान जिन्होंने स्ट्राइड का अधिक सेवन किया हो। जैसे-डेक्सामेथासोन मिथाइल प्रेडनिसोलोन आदि।
2. कोरोना के दौरान या कभी भी मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
3. कैंसर, किडनी-ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हो।

ब्लैक फंगस के लक्षण

 1. बुखार, सिर दर्द, खांसी, या सांस फूल रही हो, खांसी या उल्टी करने पर बलगम में खून आना ये सभी ब्लैक फंगस के लक्षण है।
2. नाक बंद होना ््, नाक से खून आना या नाक से बदबूदार गंदा पानी आना।
3. आंखों में दर्द हो, आंखों में सूजन आ जाए या दिखना बंद हो जाना।
4. चेहरे में एक तरफ होने वाला दर्द,  चेहरे में सूजन या सुन्नपन होना।
5. दांत में दर्द होना, दांत हिलना, कुछ भी चबाने में दर्द करना ये सब ब्लैक फंगस के लक्षण है।

लक्षण दिखने पर क्या करें

               उपरोक्त में से कोई भी लक्षण नजर आने पर तत्काल सरकारी हॉस्पिटल या किसी अन्य नाक कान गले आंख आज के स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाकर दिखाएं। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिखाएं क्योंकि देरी होने पर मामला बिगड़ सकता है। सही समय पर इलाज मिलने पर बीमारी जल्दी कंट्रोल में आ जाती है। अन्यथा आंख या जबड़ा निकालने की नौबत आ जाती है। गंभीर मामले में मरीज की मौत भी हो जाती है।

क्या क्या सावधानी बरतना चाहिए

           अभी के इस कोरोना वाले समय में अपने मन से स्टेरॉयड शुरू ना करें। जब तक डॉक्टर सलाह ना दें तब तक स्टेरॉयड का सेवन न करें। डायबिटीज के मरीज हैं, तो कोरोनानियमों का सख्ती से पालन करें। क्योंकि कोरोना से उबरने के बाद अधिकतर डायबिटीज पेशेंट इस इंफेक्शन के चपेट में आ रहे हैं। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिटी फायर के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें

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