100 दिन 100 कहानियां
उच्च प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों की अंग्रेजी के स्तर में सुधार हेतु 100 दिन 100 कहानियां कार्यक्रम चलाया जा रहा है।इस कार्यक्रम अंतर्गत विद्यार्थियों को प्रतिदिन एक पुस्तक दिया जाता है जिसमें प्रेरणादायक कहानी होती है जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छपी होती है।पहले विद्यार्थी को इंग्लिश में पढ़ने के लिए कहा जाता है फिर बाद में समाज के विकास हेतु हिंदी में भी उसे पढ़ सकते हैं। क्योंकि इसमें 100 कहानियों की 100 पुस्तकें होती है। इसलिए इस कार्यक्रम के संचालन में 100 वर्किंग डे लगते हैं।विद्यार्थी इन 100 दिनों में 100 कहानियों को पढ़कर अपने अंग्रेजी और हिंदी की स्तर में सुधार ला सकते हैं।
राज्य में इस वर्ष पहली बार सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन लैंग्वेजेस (CIL), मैसूर द्वारा निर्मित द्विभाषी कहानियों को उच्च प्राथमिक स्तर पर शाला पुस्तकालय हेतु लिया गया है | इसमें लगभग सौ से अधिक पुस्तकों का सेट है जिसमें बहुत छोटी-छोटी कहानियाँ है जिसे पहले अंग्रेजी में एवं बाद में हिन्दी में उसका भावार्थ अनुवाद किया गया है | इसे बच्चों के बीच कार्यक्रम के रूप में चलाया जाना है जिसे "100 दिन 100 कहानियां" का नाम दिया गया है।
इन पुस्तकों को बच्चों के साथ किस प्रकार से उपयोग किया जाए
• इस कार्यक्रम को एक नाम देकर अभियान के रूप में चलाया जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं | “सौ दिन सौ कहानियाँ” के नाम से इसे चलाया जा सकता है |
• पुस्तकों को बच्चों को देने एवं आपस में अदला बदली, रिकार्ड संधारण वगैरह की जिम्मेदारी युवा संसद में मंत्रियों को दी जा सकती है |
• बच्चे को पुस्तक को पढ़ते समय सबसे पहले पुस्तक में दी गए चित्रों को ध्यान से देखना होगा और समझने का प्रयास करना होगा कि कहानी किस मुद्दे पर लिखी गयी है |
• उसके बाद पहले अंग्रेजी में लिखे वाक्यों को पढ़ना होगा और ध्यान से पढ़कर अंग्रेजी में ही कहानी के अर्थ को समझने का प्रयास करना होगा |
• ठीक से समझ नहीं आने की स्थिति में उस कहानी का हिन्दी अनुवाद पढ़कर कहानी का आनन्द लेवें |
• इसके बाद पुनः उसे अंग्रेजी में पढ़कर समझने का प्रयास करें | नए शब्दों को अपनी कापी में लिखकर उसका अर्थ हिन्दी में अनुमान लगाकर या डिक्शनरी में देखकर लिखें और समय पर उपयोग हेतु याद रखें |
• कहानी अच्छे से समझ में आने के बाद उसे अपने आसपास अन्य बच्चों एवं बड़ों को सुनाएं | उनके समक्ष अंग्रेजी में भी कहानी पढ़कर सुनाएं |
• ये पुस्तकें वाटर प्रूफ हैं और इसे एक दूसरे से बदलते समय आप इसे सेनिटाईज भी कर सकते हैं | कागज़ भी आसानी से नहीं फटते इसलिए उपयोग आसान है |
इस कार्यक्रम को लागू कैसे किया जाए
शाला संकुल स्तर पर इस कार्यक्रम हेतु ठोस प्लान कर सभी सुरक्षागत नियमों का पालन करते हुए बच्चों को घर पर रहकर पुस्तकालय की इन पुस्तकों का उपयोग कर उनके अंग्रेजी में पढने के कौशल एवं पढने में रूचि विकसित करें |
चूंकि इस प्रकार का कार्यक्रम पहली बार आयोजित हो रहा है। अतः इस कार्य्रकम की प्रभाविता के बारे में एक अध्ययन आप सभी सक्रिय शिक्षकों के माध्यम से किया जाए | इस अध्ययन में बच्चों के साथ सीखने हेतु अपनाई जा रही प्रक्रियाओं, उनके अंग्रेजी भाषा में समझ पाने की स्थिति का अध्ययन, इस पूरी प्रक्रिया की प्रभाविता का अध्ययन, कार्यक्रम में और किस प्रकार के सुधार लाए जा सकते हैं, इस बाबत आवश्यक जानकारी, कार्यक्रम के पूर्व एवं पश्चात् हुए परिवर्तन का अध्ययन आदि सभी आपस में मिलकर कर सकते हैं |
इस कार्यक्रम में शामिल कैसे हों और इसमें आने वाली समस्या व समाधान संबंधी विचार-विमर्श कहां किया जाएगा
इस कार्य्रकम से जुड़ने के इच्छुक उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षक साथी जो पूरी गंभीरता के साथ अपने शाला/ गाँव /वार्ड में उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों के साथ नियमित रूप से “सौ दिन सौ कहानियाँ” कार्यक्रम नियमित रूप से संचालित कर सकें, वे इस लिंक से इस कार्यक्रम से जुड़ने हेतु अपना नाम इस टेलीग्राम ग्रुप में प्रस्तावित करें |
जो भी इस कार्यक्रम से जुड़ने हेतु इच्छुक हैं वे ऊपर दिए गए नीले रंग में लिखे गए "100 दिन 100 कहानियां टेलीग्राम ग्रुप" पर क्लिक करें और समूह में शामिल होकर इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैैं तथा समस्या समाधान संबंधी विचार विमर्श कर सकते हैं।
100 दिन 100 कहानियां संचालन हेतु सुझाव
जो बच्चें अच्छे से समझ के साथ अंग्रेजी पढ़ लेते है उन्हें ग्रुप लीडर बनाकर छोटे छोटे ग्रुप में डिवाइड करके जो बच्चें कमजोर है पढ़ने में उनको पढ़ने में मदद कर सके।और रोज मोहल्ला क्लास में कम से कम half hour टाइम पढ़ने के लिए प्रेरित करे।और घर में भी अपने बड़े भाई बहनों की हेल्प ले सकते है।वीकेंड में प्रतियोगिता भी आयोजित कर सकते है कि अच्छे समझ के साथ एक सप्ताह में किस बच्चे में कितना पठन कौशल में कितना इम्प्रूव हुआ है।
आंगनबाड़ी से कक्षा तीसरी तक पढ़ने वाली बच्चों की माताओं हेतु टेलीग्राम ग्रुप
पिछले सत्र में महिला शिक्षिकाओं ने छोटे बच्चों को उनके माताओं के माध्यम से घर पर रहकर सिखाने के लिए एक कार्यक्रम अंगना मा शिक्षा चलाया था। इससे पहले अगला कोई लहर आए हम मांताओं को उनके बच्चों को घर पर सीखने के लिए तैयार कर सकते हैं ।
आंगनबाड़ी से कक्षा तीसरी तक पढ़ने वाली बच्चों की माताओं को एक ग्रुप में जोड़ना है ताकि हम उन्हें घर पर रहकर अपने बच्चों को तैयार करने के लिए सहयोग कर सकें। कोरोना की आगामी लहर आने से पूर्व यह तैयारी आवश्यक है। आप के संपर्क में ऐसे जो भी माताएं या पालक हों जिनके पास इंटरनेट सहित मोबाइल हो उन्हें टेलीग्राम डाउनलोड करवा कर
ऊपर दिए गए लिंक से जुड़ें।
राज्य के समस्त शिक्षकों हेतु वनवे टेलीग्राम ग्रुप
राज्य के समस्त शिक्षक सभी विभागीय जानकारी एक ही ग्रुप पर प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक को टच करके छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी सूचनाएं नामक चैनल से जुड़ जाएंगे। इसमें केवल वन वे सूचनाएं आपको सीधे राज्य से मिल सकेंगी। इसमें संवाद करने की अनुमति या छूट नहीं है।
अतः सभी से अनुरोध है कि सभी इस लिंक को क्लिक करके सीधे टेलीग्राम के इस चैनल से जुड़ जाएं
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