गर्भवती महिला को भेजा कोरोना जांच कराने....... दर्द से तड़पती रही महिला पर किसी का दिल नहीं पसीजा
कोरोना के इस दुख भरे समय में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है। कोरबा जिले के नकटीखार निवासी नगेशिया बाई मंझवार को 10 मई की सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई तब उसके पति देव आनंद मंझवार अपने पत्नी को कोरबा के जिला अस्पतालों के मेटरनिटी वार्ड लेकर पहुंचे। वहां नर्स और कर्मचारियों ने गर्भवती स्त्री को भर्ती करने के बजाए कोरोना टेस्ट के लिए बोला। कोरोना टेस्ट के बाद ही भर्ती लिया जायेगा। मिन्नतें करने के और दर्द से कराहत गर्भवती के स्थिति को देखने के बाद भी किसी का दिल नहीं पसीजा।
भटकती रही कोरोना जांच कराने के लिए
चौकी इस समय सुबह के 8:30 ही बजे थे और कोरोना जांच केन्द्र अभी खुला नहीं था इसलिए देव आनंद मंझवार ने अपने पत्नी गणेश या भाई को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गया वहां भी करो ना जान के बिना उसको वापस लौटना पड़ा। अंततः मजबूरी में वहीं जिला अस्पताल के कोरोना जांच केंद्र में ही लाइन में लगना पड़ा। वह दर्द से कराहती रही। किसी ने व्हील चेयर उपलब्ध कराया तो उसी में बैठकर लाईन में लगी रही। दर्द बढ़ता ही गया और अंत में वहीं उनका प्रसव हो गया।
हंगामें के बाद अस्पताल में बिस्तर मिला
कोरोना केस टकराए कराने हेतु आए लोगों ने जब हंगामा खड़ा किया तब कहीं जाकर अस्पताल ने उनको बिस्तर उपलब्ध कराया। बाद में जच्चा और बच्चा की कोरोना जांच की गई। दोनों का रिपोर्ट नेगेटिव आया है।
अधिकारियों ने साधी चुप्पी
मामले ने जब तूल पकड़ा तथा जब मीडिया वालों को यह बात पता चली तो हंगामा हो गया। आनन-फानन में प्रसूता को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। लेकिन जब इस संबंध में अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने चुप्पी साध रखी है। कोई भी कुछ भी बोलने से बचना चाह रहा है। उनका एक ही कहना है कि इस तरह के और मामले आ चुके हैं जब गर्भवती महिला कोरोना पाज़िटिव पाई गई थी। इसलिए कोरोना टेस्ट कराने को कहा।
पति ने कार्रवाई की मांग की है
प्रसूता के पति ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है तथा उच्चाधिकारियों से इस मामले में जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। इस तरह की संवेदनहीनता लोगों पर भारी पड़ रही है। कम से कम कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही उनका इलाज किया जा सकता था। फिर भी प्रबंधन ने लापरवाही बरती है। मानवता को शर्मशार किया है।
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